रविवार, 6 फ़रवरी 2022

आता विसाव्याचे क्षण : नमन स्वर कोकिला🙏

 आज हम सबकी प्रिय गायिका सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर परमतत्त्व में विलीन हो गईं। लताजी के गाए हुए मेरे प्रिय गीतों में से एक, मराठी गीत का अपनी क्षमतानुसार हिंदी अनुवाद करने का मैंने प्रयत्न किया है। गीत के बोल और भावों के साथ संपूर्ण न्याय करते हुए लता दीदी ने इसे जब गाया तो अफवाह फैल गई कि इस गीत में लता दीदी ने अपने जीवन की संध्याकाल का और गायन कार्य से निवृत्ति लेने का संकेत दिया है। बाद में लता जी ने इस बात का खंडन किया। परंतु जब-जब इस गीत को सुनती हूँ, आँखें नम अवश्य हो जाती हैं। 

मराठी के सुप्रसिद्ध कवि बालकृष्ण भगवंत बोरकर की यह कविता लताजी का स्वर पाकर अजर अमर हो गई है। 

आप इस गीत को यहाँ सुन सकते हैं :

https://youtu.be/H4-TtMhOJyg


आता विसाव्याचे क्षण
माझे सोनियाचे मणी
सुखे ओविता ओविता
त्याची ओढतो स्मरणी

हर उतार-चढ़ाव, सुख-दुःख से गुजरकर, जीवन को भरपूर जीने के बाद जीवन की संध्याकाल में पहुँचकर मन विश्राम की इच्छा करता है। जीवन की भाग दौड़ के बाद अब विश्राम के क्षणों को जीने का, उनका आनंद लेने का समय है।  सारी सुनहरी यादें, वे सारे सुनहरे क्षण सोने के मोती हो गए हैं। मधुर स्मृतियों के ये मोती मन की स्मरणी (सुमरनी) में पिरोकर उस सुमरनी को फेरने का यह भावविभोर करनेवाला समय है।

काय सांगावे नवल 
दूर रानीची पाखरे
ओल्या अंगणी नाचता 
होती माझीच नातरे

मैं विस्मय विमुग्ध हूँ। आनंद के क्षणों की झड़ी लग गई है। इस वर्षा से मेरे मन का आँगन गीला है। इस गीले नम आँगन में दूर किसी वन के पक्षियों का झुंड उतरा है। उन छोटे-छोटे पक्षियों का नृत्य मुझे अपने नन्हें नन्हें नाती-पोतों की याद दिलाता है। मानो दूर देश में रहनेवाले मेरे नाती-पोते मेरे आँगन में खेलने आ गए हैं।

कधी होती डोळे ओले 
मन माणसाची तळी 
माझे पैलातले हंस 
डोल घेती त्याच्या जळी

जीवन यात्रा के गुजरे हुए पड़ावों को याद करते हुए कभी-कभी नयन भीग जाते हैं। मन जल से भरा सरोवर हो जाता है जिसके दूसरे तीर से कुछ राजहंस जल में उतरते हैं और इस मनरूपी ताल (सरोवर) में क्रीड़ाएँ करने लगते हैं।

कशी पांगल्या प्रेयसी 
जुन्या विझवून चुली 
आश्वासती येत्या जन्मी 
होऊ तुमच्याच मुली

पुराने जीर्ण चूल्हों को बुझाकर मेरे प्रियजन अपने अपने स्थान लौटने लगे हैं। (इस जन्म में साथ रहनेवाले, मिलनेवाले, बिछड़ने लगे हैं।) उनका साथ बहुत प्यारा रहा। जाते-जाते वे आश्वासन देते जा रहे हैं कि अगले जन्म में तुम्हारी बेटियाँ बनकर आएँगे। (अगले जन्म में किसी ना किसी रूप में फिर मिलने का आश्वासन देकर साथी जा रहे हैं।)

मणी ओढता ओढता 
होती त्याचीच आसवे 
दूर असाल तिथे हो 
नांदतो मी तुम्हांसवें

यादों की सुमरनी के मनके फेरते-फेरते ना जाने कब वे अश्रुओं में परिवर्तित हो जाते हैं, पता ही नहीं चलता। (मन कल्पना करने लगता है कि एक दिन तुम सब भी मुझसे दूर हो जाओगे)। तुम दूर भी रहो तो दुःखी मत होना, मैं वहाँ भी हमेशा तुम्हारे साथ ही हूँ। 

                               🙏🙏🙏🙏🙏




11 टिप्‍पणियां:

  1. प्रिय मीना, लता मंगेशकर जी के अवसान के बहाने से मराठी गीत के अनुवाद को पढ़कर मन बहुत भावुक हो गया। कविता जीवन मन औरआत्मा का सत्य लिखने में सक्षम है। इन्सान जीवन में विश्रांति की तलाश में जीवन के साथ ही बीत और रीत लेता है। जीवन संध्या को जी रहे किसी विकल मन की व्यथा को बडी मार्मिकता से कवि ने शब्दों में पिरोया है। सच है साथ-साथ चलने वालों का राह बीच में बिछुड़ना कितना मर्मान्तक होता होगा! उससे भी अधिक पीड़ादायक है अपनों से दूरी। आखिर जीवन की साँझ में अपनों का सानिध्य प्राप्त करने के लिए ही तो जीता है मानव। आपने बहुत कुशलता से मराठी गीत को अनूदित कर हम हिन्दी पाठकों पर उपकार किया है। वरना मराठी कवि के काव्य कौशल को कैसे जान पाते ! लता जी ने कवि की रचना को अपना स्वर देकर अमर कर दिया। स्वर साम्राज्ञी को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि 🙏😞🙏😞🙏😞🙏🙏

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    उत्तर
    1. इन्सान जीवन में विश्रांति की तलाश में जीवन के साथ ही बीत और रीत लेता है।
      सच कहा रेणु आपने ! बहुत समय से कुछ मराठी कविताओं के अनुवाद की चाह है। जैसे जैसे समय मिलेगा, करूँगी। आपके अपनेपन और सहयोग के लिए धन्यवाद कैसे करूँ ? बहुत सारा स्नेह।

      हटाएं
  2. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (8-2-22) को "स्वर सम्राज्ञी कभी नहीं जाएंगी"(चर्चा अंक 4335)पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
    --
    कामिनी सिन्हा

    जवाब देंहटाएं
  3. "तुम दूर भी रहो तो दुःखी मत होना, मैं वहाँ भी हमेशा तुम्हारे साथ ही हूँ।" वाक़ई अपने गीतों के माध्यम से लता जी सदा हमारे साथ हैं। सुंदर पोस्ट!

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  4. स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर को भावपूर्ण श्रद्धांजलि। बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।

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  5. हृदय स्पर्शी सृजन कवि का! नमन, ऐसा सटीक चित्रण जो जीवन के संध्या किल में महसूस तो सभी करते हैं पर कागज पर डालने का काम एक संवेदनशील कवि ही कर सकता है।
    अद्भुत अद्वितीय सृजन ।
    मीना जी को हार्दिक साधुवाद इतनी श्र्लाघ्य कविता को अनुवादित कर हिन्दी भाषी लोगों के सामने प्रस्तुत किया।
    हम आभारी रहेंगे आपके इस सराहनीय कार्य के।
    सुंदर अनुवाद।
    सस्नेह साधुवाद।


    अनुवाद

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  6. मर्त्यलोक की अमर्त्य आत्मा को सादर नमन।

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  7. स्वर कोकिला लता दीदी को विनम्र श्रद्धांजलि। बहुत सुंदर प्रस्तुति मीना जी।

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  8. आदरणीय लता जी को भावपूर्ण श्रद्धांजली,।

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  9. प्रभावी और सुंदर प्रस्तुति
    लता दीदी को
    विनम्र श्रद्धांजलि

    जवाब देंहटाएं

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