शनिवार, 1 जून 2019

अभिलाषा


कभी तुझसे कोई शिकायत नहीं हो
चाहे जैसे रहूँ चाहे जो भी सहूँ !
कभी तुझसे कोई....

तू परछाईं जैसे मेरे संग रहना
ये संसार अपना लगे चाहे सपना,
मैं सब में हमेशा तुझे खोज लूँ !
कभी तुझसे कोई ....

बढे चाहे जिम्मेदारियों का बोझ जितना
रहे मुझसे दुनिया खफा चाहे कितना,
मैं आँचल तेरे प्यार का ओढ लूँ !
कभी तुझसे कोई...

मिले वक्त थोड़ा , रहे काम ज्यादा
ना भूलूँ कभी जो किया तुझसे वादा,
मैं साए में तेरे हमेशा रहूँ !
कभी तुझसे कोई...

भटकने लगूँ गर मैं राहों से अपनी
तो तू रोक देना निगाहों से अपनी,
मैं हर वक्त तेरी नजर में रहूँ !
कभी तुझसे कोई...

कभी तुझसे कोई शिकायत नहीं हो
चाहे जैसे रहूँ चाहे जो भी सहूँ !
कभी तुझसे कोई..

14 टिप्‍पणियां:

  1. वाह! समर्पण का माधुर्य से परिपूर्ण चित्रण. सुन्दर सृजन.

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  2. वाह विश्वास और समर्पण की सुंदर मिसाल देती सरस रचना।

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  3. बहुत सुन्दर मीना जी. लेकिन अगर प्यार में शिक्वे-शिक़ायत का और नोंक-झोंक का छौंक नहीं लगेगा तो वो चटपटा तो हर्गिज़ नहीं हो पाएगा.

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर...भावपूर्ण शब्दों के मोती पिरोयी हुई सराहनीय रछना दी..वाह।

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  5. बेहतरीन रचना.
    ब्लॉग रतिध्वनि ब्लॉग ग चिडिया की प्रतिध्वनि है या मीनाजी की. नामकरण उत्तम लगा.

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  6. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  7. आप सभी का हृदयपूर्वक बहुत बहुत आभार इस सहयोग के लिए एवं रचना को पसंद करने हेतु।

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  8. कभी तुझसे कोई शिकायत नहीं हो
    चाहे जैसे रहूँ चाहे जो भी सहूँ !
    कभी तुझसे कोई....
    बाहर सुंदर।
    नए ब्लॉग की हार्दिक शुभकामनाएं।

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  9. मिले वक्त थोड़ा , रहे काम ज्यादा
    ना भूलूँ कभी जो किया तुझसे वादा,
    मैं साए में तेरे हमेशा रहूँ !
    कभी तुझसे कोई...बहुत सुंदर मीना जी

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  10. प्यार और समर्पण की लाजबाब अभिव्यक्ति मीना जी ,आप के चिड़ियाँ की प्रतिध्वनि हर दिल तक पहुंचे यही कामना करती हूँ,सादर

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  11. बहुत बहुत आभार आदरणीया वंदनाजी, ज्योतिजी, कामिनीजी।

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  12. बहुत अच्छी कविता रची आपने मीना जी । जीवन का व्यावहारिक सच भी यही है - जाहि विधि राखे राम, ताहि विधि रहिये ।

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