कभी तुझसे कोई शिकायत नहीं हो
चाहे जैसे रहूँ चाहे जो भी सहूँ !
कभी तुझसे कोई....
तू परछाईं जैसे मेरे संग रहना
ये संसार अपना लगे चाहे सपना,
मैं सब में हमेशा तुझे खोज लूँ !
कभी तुझसे कोई ....
बढे चाहे जिम्मेदारियों का बोझ जितना
रहे मुझसे दुनिया खफा चाहे कितना,
मैं आँचल तेरे प्यार का ओढ लूँ !
कभी तुझसे कोई...
मिले वक्त थोड़ा , रहे काम ज्यादा
ना भूलूँ कभी जो किया तुझसे वादा,
मैं साए में तेरे हमेशा रहूँ !
कभी तुझसे कोई...
भटकने लगूँ गर मैं राहों से अपनी
तो तू रोक देना निगाहों से अपनी,
मैं हर वक्त तेरी नजर में रहूँ !
कभी तुझसे कोई...
कभी तुझसे कोई शिकायत नहीं हो
चाहे जैसे रहूँ चाहे जो भी सहूँ !
कभी तुझसे कोई..
वाह! समर्पण का माधुर्य से परिपूर्ण चित्रण. सुन्दर सृजन.
जवाब देंहटाएंप्रेम से सराबोर रचना 👌 👌
जवाब देंहटाएंवाह विश्वास और समर्पण की सुंदर मिसाल देती सरस रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर मीना जी. लेकिन अगर प्यार में शिक्वे-शिक़ायत का और नोंक-झोंक का छौंक नहीं लगेगा तो वो चटपटा तो हर्गिज़ नहीं हो पाएगा.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर...भावपूर्ण शब्दों के मोती पिरोयी हुई सराहनीय रछना दी..वाह।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना 👌👌
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना.
जवाब देंहटाएंब्लॉग रतिध्वनि ब्लॉग ग चिडिया की प्रतिध्वनि है या मीनाजी की. नामकरण उत्तम लगा.
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंआप सभी का हृदयपूर्वक बहुत बहुत आभार इस सहयोग के लिए एवं रचना को पसंद करने हेतु।
जवाब देंहटाएंकभी तुझसे कोई शिकायत नहीं हो
जवाब देंहटाएंचाहे जैसे रहूँ चाहे जो भी सहूँ !
कभी तुझसे कोई....
बाहर सुंदर।
नए ब्लॉग की हार्दिक शुभकामनाएं।
मिले वक्त थोड़ा , रहे काम ज्यादा
जवाब देंहटाएंना भूलूँ कभी जो किया तुझसे वादा,
मैं साए में तेरे हमेशा रहूँ !
कभी तुझसे कोई...बहुत सुंदर मीना जी
प्यार और समर्पण की लाजबाब अभिव्यक्ति मीना जी ,आप के चिड़ियाँ की प्रतिध्वनि हर दिल तक पहुंचे यही कामना करती हूँ,सादर
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आदरणीया वंदनाजी, ज्योतिजी, कामिनीजी।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी कविता रची आपने मीना जी । जीवन का व्यावहारिक सच भी यही है - जाहि विधि राखे राम, ताहि विधि रहिये ।
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