यहाँ हर कहानी शुरू होने से पहले ही खत्म हो जाती है। केवल नयनों का पानी ही उस कहानी का गवाह बनकर रह जाता है। ये प्रेमगीत वही गा सकते हैं जिनके हृदय में जख्म हुए हैं !
हर बंधन को तोड़ती हुई, जब बेसब्र नदी सागर से मिलने दौड़ती है, वह नहीं जानती कि ये मिलन पथ है या मृत्यु पथ है । अपने प्रिय को प्राप्त करने का यह प्रयत्न बिल्कुल वैसा ही है जैसा माटी द्वारा आकाश को छूने का प्रयत्न !!!
हाय ! कभी कभी मुझे ऐसा लगता है कि प्रेम ऐसा फूल है जिसकी सुगंध मुझसे बहुत बहुत दूर, मेरी पहुँच के बाहर है। केवल काँटे मात्र ही मेरी पहुँच में हैं, मेरे पास हैं। फिर भी मेरे ये प्राण तुम्हारे लिए, उस अप्राप्य सुगंध की खोज में भटकते हैं।
अगर कभी तुम्हारे कानों में ये मेरे आर्त गीत पड़ जाएँ और मेरे अंतर्मन में छुपे भाव इन स्वरों के द्वारा तुम तक पहुँच जाएँ तब तुम अपने नयनों के दो दीप मेरे लिए जला देना। (नयनों से दो अश्रूबिंदु मेरे लिए बहा देना) अंतिम क्षणों में मेरे होठों पर यही शब्द होंगे - "लाख हुईं भूलें मुझसे, पर तुमसे प्रेम किया है मैंने !"
बहुत सुंदर कविता और उतना ही श्रेष्ठ अनुवाद हुआ है
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार कविता...एक साथ दो भाषायें ..वाह...मीना जी क्या खूब लिखा है कि - ''जीवन के अंतिम क्षणों में मेरे होठों पर यही शब्द होंगे - "लाख हुईं भूलें मुझसे, पर तुमसे प्रेम किया है मैंने !"...वाह
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंअंतिम क्षणों में मेरे होठों पर यही शब्द होंगे - "लाख हुईं भूलें मुझसे, पर तुमसे प्रेम किया है मैंने !"
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